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Wednesday 18 July 2018

श्रीकृष्ण की माया . . .

सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण ने पूछा कान्हा, मैं आपकी
माया के दर्शन करना चाहता हूं… कैसी होती है?”
श्री कृष्ण ने टालना चाहा, लेकिन सुदामा की जिद पर श्री कृष्ण ने कहा, “अच्छा, कभी वक्त आएगा तो बताऊंगा”
और फिर एक दिन कहने लगे… सुदामा, आओ, गोमती में स्नान
करने चलें| दोनों गोमती के तट पर गए| वस्त्र उतारे| दोनों
नदी में उतरे… श्रीकृष्ण स्नान करके तट पर लौट आए| पीतांबर
पहनने लगे… सुदामा ने देखा, कृष्ण तो तट पर चला गया है, मैं
एक डुबकी और लगा लेता हूं… और जैसे ही सुदामा ने डुबकी
लगाई… भगवान ने उसे अपनी माया का दर्शन कर दिया|
सुदामा को लगा, गोमती में बाढ़ आ गई है, वह बहे जा रहे हैं,
सुदामा जैसे-तैसे तक घाट के किनारे रुके| घाट पर चढ़े| घूमने
लगे| घूमते-घूमते गांव के पास आए| वहां एक हथिनी ने उनके गले में फूल माला पहनाई| सुदामा हैरान हुए| लोग इकट्ठे हो गए|
लोगों ने कहा, “हमारे देश के राजा की मृत्यु हो गई है|
हमारा नियम है, राजा की मृत्यु के बाद हथिनी, जिस भी व्यक्ति के गले में माला पहना दे, वही हमारा राजा होता
है| हथिनी ने आपके गले में माला पहनाई है, इसलिए अब आप
हमारे राजा हैं|”
सुदामा हैरान हुआ| राजा बन गया| एक राजकन्या के साथ
उसका विवाह भी हो गया| दो पुत्र भी पैदा हो गए| एक दिन सुदामा की पत्नी बीमार पड़ गई… आखिर मर गई…
सुदामा दुख से रोने लगा… उसकी पत्नी जो मर गई थी, जिसे वह बहुत चाहता था, सुंदर थी, सुशील थी… लोग इकट्ठे हो
गए…
उन्होंने सुदामा को कहा, आप रोएं नहीं, आप हमारे राजा हैं… लेकिन रानी जहां गई है, वहीं आप को भी जाना है, यह मायापुरी का नियम है| आपकी पत्नी को चिता में अग्नि दी जाएगी… आपको भी अपनी पत्नी की चिता में प्रवेश करना होगा… आपको भी अपनी पत्नी के साथ जाना होगा|
सुना, तो सुदामा की सांस रुक गई… हाथ-पांव फुल गए… अब
मुझे भी मरना होगा… मेरी पत्नी की मौत हुई है, मेरी तो नहीं… भला मैं क्यों मरूं… यह कैसा नियम है? सुदामा अपनी पत्नी की मृत्यु को भूल गया… उसका रोना भी बंद हो गया| अब वह स्वयं की चिंता में डूब गया… कहा भी, ‘भई, मैं तो मायापुरी का वासी नहीं हूं… मुझ पर आपकी नगरी का कानून लागू नहीं होता… मुझे क्यों जलना होगा|’ लोग नहीं माने, कहा, ‘अपनी पत्नी के साथ आपको भी चिता में जलना होगा… मरना होगा… यह यहां का नियम है|’
आखिर सुदामा ने कहा, ‘अच्छा भई, चिता में जलने से पहले मुझे
स्नान तो कर लेने दो…’ लोग माने नहीं… फिर उन्होंने हथियारबंद लोगों की ड्यूटी लगा दी… सुदामा को स्नान करने दो… देखना कहीं भाग न जाए…
रह-रह कर सुदामा रो उठता| सुदामा इतना डर गया कि उसके हाथ-पैर कांपने लगे… वह नदी में उतरा… डुबकी लगाई…
और फिर जैसे ही बाहर निकला… उसने देखा, मायानगरी कहीं भी नहीं, किनारे पर तो कृष्ण अभी अपना पीतांबर ही पहन रहे थे… और वह एक दुनिया घूम आया है| मौत के मुंह से बचकर निकला है…सुदामा नदी से बाहर आया… सुदामा रोए जा रहा था|
श्रीकृष्ण हैरान हुए… सबकुछ जानते थे… फिर भी अनजान बनते हुए पूछा, “सुदामा तुम रो क्यों रो रहे हो?”सुदामा ने कहा,
“कृष्ण मैंने जो देखा है, वह सच था या यह जो मैं देख रहा हूं|”
श्रीकृष्ण मुस्कराए, कहा, “जो देखा, भोगा वह सच नहीं था| भ्रम था… स्वप्न था… माया थी मेरी और जो तुम अब मुझे देख रहे हो… यही सच है… मैं ही सच हूं…मेरे से भिन्न, जो भी है, वह मेरी माया ही है| और जो मुझे ही सर्वत्र देखता है,महसूस करता है, उसे मेरी माया स्पर्श नहीं करती| माया स्वयं का विस्मरण है…माया अज्ञान है, माया परमात्मा से भिन्न… माया नर्तकी है… नाचती है… नचाती है… लेकिन जो श्रीकृष्ण से जुड़ा है, वह नाचता नहीं… भ्रमित नहीं होता… माया से निर्लेप रहता है, वह जान जाता है,
सुदामा भी जान गया था… जो जान गया वह श्रीकृष्ण से
अलग कैसे रह सकता है!!!!
                         जय श्री कृष्णा

Saturday 14 July 2018

*"सीख"*

एक अत्यंत मार्मिक प्रेरणादायक कहानी।
जरूर से जरूर पढ़ें।
भोर के समय सूर्यदेवता ने अपना प्रसार क्षेत्र विस्तृत करना आरंभ कर दिया था. सत्य कुमार बालकनी में आंखें मूंदे बैठे थे, तभी किचन से उनकी धर्मपत्नी सुधा चाय लेकर आई ।
*“लो, ऐसे कैसे बैठे हो, अभी तो उठे हो, फिर आंख लग गई क्या? क्या बात है, तबियत ठीक नहीं लग रही है क्या?”* सुधा ने मेज़ पर चाय की ट्रे रखते हुए पूछा. सत्य कुमार ने धीमे से आंखें खोलकर उन्हें देखा और पुन: आंखें मूंद लीं.
सुधा कप में चाय उड़ेलते हुए दबे स्वर में बोलने लगी,
*“मुझे मालूम है, दीपू का वापस जाना आपको खल रहा है. मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है, लेकिन क्या करें. हर बार ऐसा ही होता है- बच्चे आते हैं, कुछ दिनों की रौनक होती है और वे चले जाते हैं.”*
मेरठ यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रवक्ता और लेखक सत्य कुमार की विद्वत्ता उनके चेहरे से साफ़ झलकती थी. उनकी पुस्तकों से आनेवाली रॉयल्टी रिटायरमेंट के बाद पनपनेवाले अर्थिक अभावों को दूर फेंकने में सक्षम थी. उनके दो बेटों में छोटा सुदीप अपनी सहपाठिनी के साथ प्रेम -विवाह कर मुम्बई में सेटल हो गया था. विवाह के बाद वो उनसे ज़्यादा मतलब नहीं रखता था. बड़ा बेटा दीपक कंप्यूटर इंजीनियर था. उसने अपने माता-पिता की पसंद से अरेन्ज्ड मैरिज की थी. उसकी पत्नी मधु सुंदर, सुशील और हर काम में निपुण, अपने सास-ससुर की लाडली बहू थी. दीपक और मधु कुछ वर्षों से लंदन में थे और दोनों वहीं सेटल होने की सोच रहे थे.
दीपक का लंदन रुक जाना सत्य कुमार को अच्छा नहीं लगा, मगर सुधा ने उन्हें समझा दिया था कि अपनी ममता को बच्चों की तऱक़्क़ी के आड़े नहीं लाना चाहिए और वैसे भी वो लंदन रहेगा तो भी क्या, आपके रिटायरमेंट के बाद हम ही उसके पास चले जाएंगे. दीपक और मधु उनके पास साल में एक बार 10-15 दिनों के लिए अवश्य आते और उनसे साथ लंदन चलने का अनुरोध करते. मधु जितने दिन वहां रहती, अपने सास-ससुर की ख़ूब सेवा करती.
आज सत्य कुमार को रिटायर हुए पूरे दो वर्ष हो चुके थे, मगर इन दो वर्षों में दीपक ने उन्हें लंदन आने के लिए भूले से भी नहीं कहा था. सुधा उनसे बार-बार ज़िद किया करती थी, *‘चलो हम ही लंदन चलें’,* लेकिन वो बड़े ही स्वाभिमानी व्यक्ति थे और बिना बुलावे के कहीं जाना स्वयं का अपमान समझते थे.
उनकी बंद आंखों के पीछे कल रात के उस दृश्य की बारम्बार पुनरावृत्ति हो रही थी, जो उन्होंने दुर्भाग्यवश अनजाने में देखा था… दीपक और मधु अपने कमरे में वापसी के लिए पैकिंग कर रहे थे, दोनों में कुछ बहस छिड़ी हुई थी,
*“देखो-तुम भूले से भी मम्मी-पापा को लंदन आने के लिए मत कहना, वो दोनों तो कब से तुम्हारी पहल की ताक में बैठे हैं, मुझसे उनके नखरे नहीं उठाए जाएंगे… मुझे ही पता है, मैं यहां कैसे 15-20 दिन निकालती हूं. सारा दिन नौकरानियों की तरह पिसते रहो, फिर भी इनके नखरे ढीले नहीं होते. चाहो तो हर महीने कुछ पैसे भेज दिया करो, हमें कहीं कोई कमी नहीं आएगी…”* मधु बार-बार गर्दन झटकते हुए बड़बड़ाए जा रही थी.
*“कैसी बातें कर रही हो? मुझे तुम्हारी उतनी ही चिन्ता है जितनी कि तुम्हें. तुम फ़िक्र मत करो, मैं उनसे कभी नहीं कहूंगा. मुझे पता है, पापा बिना कहे लंदन कभी नहीं आएंगे.”*
दीपक मधु के गालों को थपथपाता हुआ उसे समझा रहा था.
*“मुझे तो ख़ुद उनके साथ एडजस्ट करने में द़िक़्क़त होती है. वे अभी भी हमें बच्चा ही समझते हैं. अपने हिसाब से ही चलाना चाहते हैं. समझते ही नहीं कि उनकी लाइफ़ अलग है, हमारी लाइफ़ अलग… उनकी इसी आदत की वजह से सुदीप ने भी उनसे कन्नी काट ली…”* दीपक धाराप्रवाह बोलता चला जा रहा था. दोनों इस बात से बेख़बर थे कि दरवाज़े के पास खड़े सत्य बुत बने उनके इस वार्तालाप को सुन रहे थे.
सत्य कुमार सन्न थे… उनका मस्तिष्क कुछ सोचने-समझने के दायरे से बाहर जा चुका था, अत: वो उन दोनों के सामने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पाए. उनको सी-ऑफ़ करने तक का समय उन्होंने कैसे कांटों पर चलकर गुज़ारा था, ये बस उनका दिल ही जानता था. दीपक और मधु जिनकी वो मिसाल दिया करते थे, उन्हें इतना बड़ा धोखा दे रहे थे… जाते हुए दोनों ने कितने प्यार और आदर के साथ उनके पैर छुए थे. ये प्यार… ये अपनापन… सब दिखावा… छि:… उनका मन पुन: घृणा और क्षोभ से भर उठा. वो यह भी तय नहीं कर पा रहे थे कि सुधा को इस बारे में बताएं अथवा नहीं, ये सोचकर कि क्या वो यह सब सह पाएगी… सत्य बार-बार बीती रात के घटनाक्रम को याद कर दुख के महासागर में गोते लगाने लगे.
समय अपनी ऱफ़्तार से गुज़रता जा रहा था, मगर सत्य कुमार का जीवन जैसे उसी मोड़ पर थम गया था. अपनी आन्तरिक वेदना को प्रत्यक्ष रूप से बाहर प्रकट नहीं कर पाने के कारण वो भीतर-ही-भीतर घुटते जा रहे थे. उस घटना के बाद उनके स्वभाव में भी काफ़ी नकारात्मक परिवर्तन आ गया. दुख को भीतर-ही-भीतर घोट लेने के कारण वे चिड़चिड़े होते जा रहे थे. बच्चों से मिली उपेक्षा से स्वयं को अवांछित महसूस करने लगे थे. धीरे-धीरे सुधा भी उनके दर्द को महसूस करने लगी. दोनों मन-ही-मन घुटते, मगर एक-दूसरे से कुछ नहीं कहते. लेकिन अभी भी उनके दिल के किसी कोने में उम्मीद की एक धुंधली किरण बाकी थी कि शायद कभी किसी दिन बच्चों को उनकी ज़रूरत महसूस हो और वो उन्हें जबरन अपने साथ ले जाएं, ये उम्मीद ही उनके अंत:करण की वेदना को और बढ़ा रही थी.
एक दिन सत्य कुमार किसी काम से हरिद्वार जा रहे थे. उन्हें चले हुए 3-4 घंटे हो चुके थे, तभी कार से अचानक खर्र-खर्र की आवाज़ें आने लगीं. इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते, कार थोड़ी दूर जाकर रुक गई और दोबारा स्टार्ट नहीं हुई. सिर पर सूरज चढ़कर मुंह चिढ़ा रहा था. पसीने से लथपथ सत्य लाचार खड़े अपनी कार पर झुंझला रहे थे.
*“थोड़ा पानी पी लीजिए.”* सुधा पानी देते हुए बोली *“काश, कहीं छाया मिल जाए.”* सुधा साड़ी के पल्लू से मुंह पोंछती हुई इधर-उधर नज़रें दौड़ाने लगी.
*“मेरा तो दिमाग़ ही काम नहीं कर रहा है… ये सब हमारे साथ ही क्यों होता है…? क्या भगवान हमें बिना परेशान किए हमारा कोई काम पूरा नहीं कर सकता?”* ख़ुद को असहाय पाकर सत्य कुमार ने भगवान को ही कोसना शुरू कर दिया.
*“देखो, वहां दूर एक पेड़ है, वहां दो-तीन छप्पर भी लगे हैं, वहीं चलते हैं. शायद कुछ मदद मिल जाए…”* सुधा ने दूर एक बड़े बरगद के पेड़ की ओर इशारा करते हुए कहा. दोनों बोझिल क़दमों से उस दिशा में बढ़ने लगे.
वहां एक छप्पर तले चाय की छोटी-सी दुकान थी, जिसमें दो-तीन टूटी-फूटी बेंचें पड़ी थीं. उन पर दो ग्रामीण बैठे चाय पी रहे थे. वहीं पास में एक बुढ़िया कुछ गुनगुनाती हुई उबले आलू छील रही थी. दुकान में एक तरफ़ एक टूटे-फूटे तसले में पानी भरा था, उसके पास ही अनाज के दाने बिखरे पड़े थे. कुछ चिड़िया फुदककर तसले में भरा पानी पी रही थीं और कुछ बैठी पेटपूजा कर रही थीं. साथ लगे पेड़ से बार-बार गिलहरियां आतीं, दाना उठातीं और सर्र से वापस पेड़ पर चढ़ जातीं. पेड़ की शाखाओं के हिलने से ठंडी हवा का झोंका आता जो भरी दोपहरी में बड़ी राहत दे रहा था. शाखाओं के हिलने से, पक्षियों की चहचहाहट से, गिलहरियों की भाग-दौड़ से उपजे मिश्रित संगीत की गूंज अत्यंत कर्णप्रिय लग रही थी. सुधा आंखें मूंदे इस संगीत का आनंद लेने लगी.
*“क्या चाहिए बाबूजी, चाय पीवो?”*
बुढ़िया की आवाज़ से सुधा की तंद्रा टूटी. वो सत्य कुमार की ओर देखते हुए बोली,
*“आप चाय के साथ कुछ लोगे क्या?”*
*“नहीं.”* सत्य कुमार ने क्रोध भरा टका-सा जवाब दिया.
*"बाबूजी, आपकी सकल बतावे है कि आप भूखे भी हो और परेसान भी, खाली पेट तो रत्तीभर परेसानी भी पहाड़ जैसी दिखे है. पेट में कुछ डाल लो. सरीर भी चलेगा और दिमाग़ भी, हा-हा-हा…”* बुढ़िया इतना कह कर खुलकर हंस पड़ी.
बुढ़िया की हंसी देखकर सत्य कुमार तमतमा गए. लो पड़ गई आग में आहुति, सुधा मन में सोचकर सहम गई. वो मुंह से कुछ नहीं बोले, लेकिन बुढ़िया की तरफ़ घूरकर देखने लगे.
बुढ़िया चाय बनाते-बनाते बतियाने लगी,
*“बीबीजी, इस सुनसान जगह में कैसे थमे, क्या हुआ?”*
*"दरअसल हम यहां से गुज़र रहे थे कि हमारी गाड़ी ख़राब हो गयी. पता नहीं यहां आसपास कोई मैकेनिक भी मिलेगा या नहीं.”* सुधा ने लाचारी प्रकट करते हुए पूछा.
*“मैं किसी के हाथों मैकेनिक बुलवा लूंगी. आप परेसान ना होवो.”* बुढ़िया उन्हें चाय और भजिया पकड़ाते हुए बोली.
*“अरे ओ रामसरन, इधर आइयो…”* बुढ़िया दूर खेत में काम कर रहे व्यक्ति की ओर चिल्लाई. *“भाई, इन भले मानस की गाड़ी ख़राब हो गयी है, ज़रा टीटू मैकेनिक को तो बुला ला… गाड़ी बना देवेगा…इस विराने में कहां जावेंगे बिचारे.”* बुढ़िया के स्वर में ऐसा विनयपूर्ण निवेदन था जैसे उसका अपना काम ही फंसा हो.
*_बाबूजी चिन्ता मत करो, टीटू ऐसा बच्चा है, जो मरी कैसी भी बिगड़ी गाड़ी को चलता कर देवे है.”* इतना कह बुढ़िया चिड़ियों के पास बैठ ज्वार-बाजरे के दाने बिखेरने लगी. *“अरे मिठ्ठू, आज मिठ्ठी कहां है?”* वो एक चिड़िया से बतियाने लगी.
सत्य को उसका यह व्यवहार कुछ सोचने पर मजबूर कर रहा था. ऐसी बुढ़िया जिसकी शारीरिक और भौतिक अवस्था अत्यंत जर्जर है, उसका व्यवहार, उसकी बोलचाल इतनी सहज, इतनी उन्मुक्त है जैसे कभी कोई दुख का बादल उसके ऊपर से ना गुज़रा हो, कितनी शांति है उसके चेहरे पर.
*“माई, तुम्हारा घर कहां है? यहां तो आसपास कोई बस्ती नज़र नहीं आती, क्या कहीं दूर रहती हो?”* सत्य कुमार ने विनम्रतापूर्वक प्रश्‍न किया.
*“बाबूजी, मेरा क्या ठौर-ठिकाना, कोई गृहसती तो है ना मेरी, जो कहीं घर बनाऊं? सो यहीं इस छप्पर तले मौज़ से रहू हूं. भगवान की बड़ी किरपा है.”* सत्य कुमार का ध्यान बुढ़िया के मुंह से निकले *'मौज़’* शब्द पर अटका. भला कहीं इस शमशान जैसे वीराने में अकेले रहकर भी मौज़ की जा सकती है. वो बुढ़िया द्वारा कहे गए कथन का विश्‍लेषण करने लगे, उन्हें इस बुढ़िया का फक्कड़, मस्ताना व्यक्तित्व अत्यंत रोचक लग रहा था.
*“यहां निर्जन स्थान पर अकेले कैसे रह लेती हो माई, कोई परेशानी नहीं होती क्या?”* सत्य कुमार ने उत्सुकता से पूछा.
*“परेसानी…”* बुढ़िया क्षण भर के लिए ठहरी, *“परेसानी काहे की बाबूजी, मजे से रहूं हूं, खाऊं हूं, पियूं हूं और तान के सोऊं हूं… देखो बाबूजी, मानस जन ऐसा प्रानी है, जो जब तक जिए है परेसानी-परेसानी चिल्लाता फिरे है, भगवान उसे कितना ही दे देवे, उसका पेट नहीं भरे है. मैं पुछू हूं, आख़िर खुस रहने को चाहवे ही क्या, ज़रा इन चिड़ियों को देखो, इन बिचारियों के पास क्या है. पर ये कैसे खुस होकर गीत गावे हैं.”*
सत्य कुमार को बुढ़िया की सब बातें ऊपरी कहावतें लग रही थीं.
*“पर माई, अकेलापन तो लगता होगा ना?”* सत्य कुमार की आंखों में दर्द झलक उठा.
*“अकेलापन काहे का बाबूजी, दिन में तो आप जैसे भले मानस आवे हैं. चाय पीने वास्ते, गांववाले भी आते-जाते रहवे हैं और ये मेरी चिड़कल बिटिया तो सारा दिन यहीं डेरा डाले रखे है.”* बुढ़िया पास फुदक रही चिड़ियों पर स्नेहमयी दृष्टि डालते हुए बोली.
क्या इतना काफ़ी है अकेलेपन के एहसास पर विजय प्राप्त करने के लिए, सत्य कुमार के मन में विचारों का मंथन चल रहा था. उनके पास तो सब कुछ है- घर-बार, दोस्तों का अच्छा दायरा, उनके सुख-दुख की साथी सुधा, फिर क्यों उन्हें मात्र बच्चों की उपेक्षा से अकेलेपन का एहसास सांप की तरह डसता है?
*"अकेलापन, परेसानी, ये सब फालतू की बातें हैं बाबूजी. जिस मानस को रोने की आदत पड़ जावे है ना, वो कोई-ना-कोई बहाना ढूंढ़ ही लेवे है रोने का.”* बुढ़िया की बातें सुन सत्य कुमार अवाक् रह गए. उन्हें लगा जैसे बुढ़िया ने सीधे-सीधे उन्हीं पर पत्थर दे मारा हो.
क्या सचमुच हर व़क़्त रोना, क़िस्मत को और दूसरों को दोष देना उनकी आदत बन गई है? क्यों उनका मन इतना व्याकुल रहता है…? सत्य कुमार के मन में उद्वेगों का एक और भंवर चल पड़ा.
*“माई, तुम्हारा घर-बार कहां है, कोई तो होगा तुम्हारा सगा-संबंधी?”* सत्य कुमार ने अपनी पूछताछ का क्रम ज़ारी रखा.
बुढ़िया गर्व से गर्दन अकड़ाते हुए बोली,
*“है क्यों नहीं बाबूजी, पूरा हरा-भरा कुनबा है मेरा. भगवान सबको बरकत दे. बाबूजी, मेरे आदमी को तो मरे ज़माना बीत गया. तीन बेटे और दो बेटियां हैं मेरी. नाती-पोतोंवाली हूं, सब सहर में बसे हैं और अपनी-अपनी गृहस्ती में मौज करे हैं.”* बुढ़िया कुछ देर के लिए रुककर फिर बोली,
*“मेरा एक बच्चा फौज में था, पिछले साल कसमीर में देस के नाम सहीद हो गया. भगवान उसकी आतमा को सान्ति देवे.”*
बुढ़िया की बात सुन दोनों हतप्रभ रह गए और एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे. इतनी बड़ी बात कितनी सहजता से कह गई थी वो और उसके चाय बनाने के क्रम में तनिक भी व्यवधान नहीं पड़ा था. वो पूरी तरह से सामान्य थी. ना चेहरे पर शिकन…. ना आंखों में नमी…
क्या इसे बच्चों का मोह नहीं होता? सत्य कुमार मन-ही-मन सोचने लगे,
*“तुम अपने बेटों के पास क्यों नहीं रहती हो?”* उन्होंने एक बड़े प्रश्‍नचिह्न के साथ बुढ़िया से पूछा.
*"नहीं बाबूजी… अब कौन उस मोह-माया के जंजाल में उलझे… सब अपने-अपने ढंग से अपनी गृहस्ती चलावे हैं. अपनी-अपनी सीमाओं में बंधे हैं. मैं साथ रहन लगूंगी, तो अब बुढ़ापे में मुझसे तो ना बदला जावेगा, सो उन्हें ही अपने हिसाब से चलाने की कोसिस करूंगी. ख़ुद भी परेसान रहूंगी और उन्हें भी परेसान करूंगी. मैं तो यहीं अपनी चिड़कल बिटियों के साथ भली….”* बुढ़िया दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए बोली. *“अरे मेरी बिट्टू आ गई, आज तेरे बच्चे संग नहीं आए? कहीं तेरा साथ छोड़ फुर्र तो नहीं हो गये?”* बुढ़िया एक चिड़िया की ओर लपकी.
*“बाबूजी, देखो तो मेरी बिट्टू को… इसके बच्चे इससे उड़ना सीख फुर्र हो गए, तो क्या ये परेसान हो रही है? रोज़ की तरह अपना दाना-पानी लेने आयी है और चहके भी है. ये तो प्रकृति का नियम है बाबूजी, ऐसा ही होवे है. इस बारे में सोच के क्या परेसान होना.”*
बुढ़िया ने सीधे सत्य और सुधा की दुखती रग पर हाथ रख दिया. यही तो था उनके महादुख का मूल, उनके बच्चे उड़ना सीख फुर्र हो गए थे.
*“बाबूजी, संसार में हर जन अकेला आवे है और यहां से अकेला ही जावे है. भगवान हमारे जरिये से दुनिया में अपना अंस (अंश) भेजे हैं, मगर हम हैं कि उसे अपनी जायदाद समझ दाब लेने की कोसिस करे हैं. सो सारी ऊमर उसके पीछे रोते-रोते काट देवे हैं. जो जहां है, जैसे जीवे है जीने दो और ख़ुद भी मस्ती से जीवो. ज़ोर-ज़बरदस्ती का बन्धन तो बाबूजी कैसा भी हो, दुखे ही है. प्यार से कोई साथ रहे तो ठीक, नहीं तो तू अपने रस्ते मैं अपने रस्ते…”* बुढ़िया एक दार्शनिक की तरह बेफ़िक्री-से बोले चली जा रही थी और वो दोनों मूक दर्शक बने सब कुछ चुपचाप सुन रहे थे. उसकी बातें सत्य कुमार के अंतर्मन पर गहरी चोट कर रही थी.
ये अनपढ़ मरियल-सी बुढ़िया ऐसी बड़ी-बड़ी बातें कर रही है. इस ढांचा शरीर में इतना प्रबल मस्तिष्क. क्या सचमुच इस बुढ़िया को कोई मानसिक कष्ट नहीं है…? बुढ़िया के कड़वे, लेकिन सच्चे वचन सत्य कुमार के मन पर भीतर तक असर डाल रहे थे.
*“लो रामसरन आ गया.”* बुढ़िया की उत्साहपूर्ण आवाज़ से दोनों की ध्यानमग्नता टूटी.
आज सत्य कुमार को बुढ़िया के व्यक्तित्व के सामने स्वयं का व्यक्तित्व बौना प्रतीत हो रहा था. आज महाज्ञानी सत्य कुमार को एक अनपढ़, अदना-सी बुढ़िया से तत्व ज्ञान मिला था. आज बुढ़िया का व्यवहार ही उन्हें काफ़ी सीख दे गया था. सत्य कुमार महसूस कर रहे थे जैसे उनके चारों ओर लिपटे अनगिनत जाले एक-एक करके हटते जा रहे हों. अब वो अपने अंतर्मन की रोशनी में सब कुछ स्पष्ट देख पा रहे थे. जो पास नहीं हैं, उसके पीछे रोते-कलपते और जो है उसका आनंद न लेने की भूल उन्हें समझ आ गई थी.
*“बाबूजी, कार ठीक हो गई है.”* मैकेनिक की आवाज़ से सत्य कुमार विचारों के आकाश से पुन: धरती पर आए.
*“आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.”* सत्य कुमार ने मुस्कुराहट के साथ मैकेनिक
का अभिवादन किया. उनके चेहरे से दुख और परेशानी के भाव गायब हो चुके थे. दोनों कार में बैठ गए. सत्य ने वहीं से बुढ़िया पर आभार भरी दृष्टि डाली और कार वापस घुमा ली.
*“अरे, यह क्या, हरिद्वार नहीं जाना क्या?”* सुधा ने घबराकर पूछा.
*“नहीं.”* सत्य कुमार ने बड़े ज़ोश के साथ उत्तर दिया. *“हम हरिद्वार नहीं जा रहे हैं.”* थोड़ा रुककर पुन: बोले, *“हम मसूरी जा रहे हैं घूमने-फिरने. काम तो चलते ही रहते हैं. कुछ समय अपने लिए भी निकाला जाए.”*
सत्य कुमार कुछ गुनगुनाते हुए ड्राइव कर रहे थे और सुधा उन्हें विस्मित् नेत्रों से घूरे जा रही थी.

Tuesday 10 July 2018

शराब पीने का तरीका...​

​弄शराब पीने का तरीका...​
​弄शौक बड़ी चीज है और शौक को बेहतर तरीके से किया जाये तो ही सबसे अच्छा है, क्योंकि अच्छे से जियेंगे तभी तो पियेंगे।​
​तो आइये जानते हैं कि, 弄 शौक कैसे फरमाएं ?​
1) ​पीने से पहले कुछ खा लेना चाहिए। भूलकर भी खाली पेट ना पियें।​
2) ​ब्रान्ड का ध्यान जरूर रखें।​
जैसे - ​100 Piper's, Chivas Regal या बजट के हिसाब से Blenders Pride, Royal Stag बस, इससे नीचे ना जाएं।​
3) ​पानी ही सबसे बढ़िया है, सोडा या कोल्ड ड्रिंक को दूर ही रखें, wine और soda लीवर को परेशान कर सकते हैं।​
​अगर आप 30ml का peg 弄बनाते हैं तो 50 या 60ml तक पानी डालें।​
​ज्यादा पानी से taste कड़वा हो जाएगा, साथ में यूरिन के साथ बॉडी से ज्यादा मात्रा में पानी बाहर निकल जायेगा जिससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।​
4) ​पीते समय light music सुनें। जैसे - मेहंदी हसन साहब, गुलाम अली, जगजीत की ग़ज़लें या जो भी आप पसंद करते हैं। अगर शादी या पार्टी में हैं तो बात अलग है।​
5) ​弄के साथ चखने में खट्टी चीजें कभी ना लें क्योंकि wine एसिडिक nature की होती है और खट्टी चीजें बॉडी में एसिड को बढ़ा देती हैं।​
​आप 勒खीरा ले सकते हैं,हल्के मसाले में भुना चिकन ले सकते हैं, पनीर , काजू आदि। भूलकर भी दही, रायता ना लें क्योंकि ये भी एसिड को बढ़ाते हैं।​
​ज्यादा मिर्च भी ना खायें।​
5) ​आराम से पिएं, प्यार से 弄पेग बनाएं। जो भी आप discuss कर रहे हैं उसका स्तर बनाएं रखें।​
6) ​जिस दिन आप मूड बनाते हैं उस दिन के बाद minimum 5 दिन का gap जरूर रखें​
​क्योंकि पूरे 5 दिन तक हमारे body organs अल्कोहॉल को consume करे रहते हैं।​
7) ​पीने के अगले दिन आप आधा नींबू, आधा चम्मच शहद पानी में डालकरपी लें। यह शरबत आपके बॉडी के सारे टॉक्सिन बाहर निकाल देगा।​
8) ​maximum 4 पेग弄 पी सकते हैं, ज्यादा मात्रा में ना लें।​
​दोस्तों अपना ध्यान रखें क्योंकि अच्छी health रहेगी तभी लम्बा जियोगे औऱ पियोगे...पीते रहोगे।​弄
​((शौक फरमाते हैं तो यह msg आपके लिए है अगर नहीं फरमाते हैं तो फॉरवर्ड कर दें उन्हें जो शौक 弄 रखते हैं

Monday 9 July 2018

Rajasthan Police Constable Admit Card Start

Admit card-राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2018 के मूल प्रवेश पत्र किये जारी,इस लिंक पर जाकर करे अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड


Jaipur


राजस्थान पुलिस भर्ती परीक्षा 2018 की ऑफलाइन परीक्षा 14 और 15 जुलाई को आयोजित होगी जिसके लिए विभाग ने अभ्यर्थियों के परीक्षा जिले की सूचना के बाद आज विभाग ने मूल एडमिट कार्ड भी जारी कर दिए है अभ्यर्थी आवदेन के समय प्रयुक्त sso id के माध्यम से अपना प्रवेश पत्र देख सकते है जिसके लिए सर्वप्रथम अभ्यर्थी नीचे दी लिंक पर जाकर अपनी sso id के माध्यम से लॉगिन करके recruitment  stack2 पर जाकर Get Admit cardपर क्लिक करे।
एडमिट कार्ड डाउनलोड करने  के लिए इस लिंक पर जाकर ऊपर दिए गए निर्देशों का पालन करे।


    https://sso.rajasthan.gov.in/signin
अभ्यर्थी विभाग की साइट पर जाकर police recruitment पर जाकर भी अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते है
विभाग की आधिकारिक इस साइट पर जाए।

   http://recruitment2.rajasthan.gov.in
प्रवेश पत्र से सम्बंधित दिशा निर्देश विभाग ने साइट पर जारी कर दिए है जिसके आधार पर आप सहूलियत से प्रवेश पत्र की जानकारी ले सकते है।
दिशानिर्देश इस लिंक से डाउनलोड करे।


Saturday 7 July 2018

यदि ऐसा नहीं होता तो कर्ण के एक ही बाण से अर्जुन का रथ हवा में उड़ जाता


*महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान चल रहा था । अर्जुन का तीर लगने पे कर्ण का रथ 25-30 हाथ पीछे खिसक जाता , और कर्ण के तीर से अर्जुन का रथ सिर्फ 2-3 हाथ ।*
लेकिन श्री कृष्ण थे की कर्ण के वार की तारीफ़ किये जाते, अर्जुन की तारीफ़ में कुछ ना कहते ।
*अर्जुन बड़ा व्यथित हुआ, पूछा , हे पार्थ आप मेरी शक्तिशाली प्रहारों की बजाय उसके कमजोर प्रहारों की तारीफ़ कर रहे हैं, ऐसा क्या कौशल है उसमे ।*
*श्री कृष्ण मुस्कुराये और बोले, तुम्हारे रथ की रक्षा के लिए ध्वज पे हनुमान जी, पहियों पे शेषनाग और सारथि रूप में खुद नारायण हैं । उसके बावजूद उसके प्रहार से अगर ये रथ एक हाथ भी खिसकता है तो उसके पराक्रम की तारीफ़ तो बनती है ।*
  कहते हैं *युद्ध समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को पहले उतरने को कहा और बाद में स्वयं उतरे। जैसे ही श्री कृष्ण रथ से उतरे , रथ स्वतः ही भस्म हो गया । वो तो कर्ण के प्रहार से कबका भस्म हो चूका था, पर नारायण बिराजे थे इसलिए चलता रहा । ये देख अर्जुन का सारा घमंड चूर चूर हो गया ।*
     *कभी जीवन में सफलता मिले तो घमंड मत करना, कर्म तुम्हारे हैं पर आशीष ऊपर वाले का है । और किसी को परिस्थितिवष कमजोर मत आंकना, हो सकता है उसके बुरे समय में भी वो जो कर रहा हो वो आपकी क्षमता के भी बाहर हो ।*
*लोगों का आंकलन नहीं, मदद करो*
यह प्रसंग दिल को छू गया सोचा आप लोगों से सांझा कर लू

* ग्रन्थकार की मुखारविंदसे *

*वो कुँए का मैला कुचैला पानी*
*पिके भी 100 वर्ष जी लेते थे*
*हम RO का शुद्ध पानी पीकर*
*40 वर्ष में बुढे़ हो रहे है।*
*वो घाणी का मैला सा तेल खाके बुढ़ापे में भी दौड़~मेहनत कर लेते थे।*

*हम डबल~ट्रिपल फ़िल्टर तेल*
*खाकर जवानी में भी हाँफ जाते है।*

*वो डले वाला नमक खाके*
*बीमार ना पड़ते थे।*
*हम आयोडीन युक्त खाके*
*हाई~लो बीपी लिये पड़े है।*
*वो नीम-बबूल,कोयला नमक*
*से दाँत चमकाते थे और 80 वर्ष*
*तक भी चबा चबा कर खाते* थे।*
*और हम कॉलगेट सुरक्षा वाले रोज डेंटिस्ट के चक्कर लगाते है ।।*
*वो नाड़ी पकड़ कर*
*रोग बता देते थे और*
*आज जाँच कराने पर भी*
*रोग नहीं जान पाते है।*
*वो 7~8 बच्चे जन्मने वाली माँ 80 वर्ष की अवस्था में भी* *घर~खेत का काम करती थी।*
*आज 1महीने से डॉक्टर की देख~रेख में रहते है फिर भी बच्चे पेट फाड़ कर जन्मते है।।*
*पहले काले गुड़ की मिठाइयां*
*ठोक ठोक के खा जाते थे।*
*आजकल तो खाने से पहले ही*
*शुगर की बीमारी हो जाती है।*
*पहले बुजर्गो के भी*
*घुटने कन्धे नहीं दुखते थे।*
*जवान भी घुटनो और कन्धों*
*के दर्द से कहराता है ।*
*और भी बहुत सी समस्याये है फिर भी लोग इसे विज्ञान का युग कहते है, ☝☝☝समझ नहीं आता ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का ?????*

आज पत्नी दिवस हैं

  I love my wife

    *हर पति-देव इसे ध्यान से पढ़ें ~*
    एक युवक बगीचे में  
        बहुत गुस्से में बैठा था !
      पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे !
उन्होने उस परेशान युवक से पूछा :-
           *क्या हुआ बेटा ...*
           *क्यूं इतना परेशान हो ?*
युवक ने गुस्से में अपनी पत्नी की
गल्तियों के बारे में बताया !
बुजुर्ग ने मंद-मंद मुस्कराते हुए ...
युवक से पूछा :-
 बेटा क्या तुम बता सकते हो ~
       *तुम्हारा धोबी कौन है ?*
 युवक ने हैरानी से पूछा :-
        क्या मतलब ?
 बुजुर्ग ने कहा :-
      *तुम्हारे मैले कपड़े कौन धोता है ?*
 युवक बोला  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग ने पूछा :-
      *तुम्हारा बावर्ची कौन है ?*
 युवक  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग :- तुम्हारे *घर-परिवार* और
      *सामान का ध्यान कौन रखता है ?*
 युवक  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग ने फिर पूछा :-
      कोई *मेहमान* आए तो ...
      *उनका ध्यान कौन रखता है ?*
 युवक  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग :-  *परेशानी और गम में ...*
                     *कौन साथ देता है ?*
 युवक :-  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग :-  अपने माता पिता का घर
                छोड़कर *जिंदगी भर के लिए*
                *तुम्हारे साथ कौन आता है ?*
 युवक :-  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग :-  *बीमारी में* तुम्हारा ध्यान और
                     *सेवा कौन करता है ?*
 युवक :-  *मेरी पत्नी*
 बुजुर्ग बोले :- एक बात और बताओ
              *तुम्हारी पत्नी इतना काम और*
              *सबका ध्यान रखती है !*
                  *क्या कभी उसने तुमसे ...*
                  *इस बात के पैसे लिए ?*
 युवक :-  *कभी नहीं...*
इस बात पर बुजुर्ग बोले कि ~
*पत्नी की एक कमी तुम्हें नजर आ गई*
*मगर , उसकी इतनी सारी खूबियाँ*
*तुम्हें कभी नजर नहीं आईं ?*
  ☄☄☄☄☄☄☄☄
 *चूंकि पत्नी ईश्वर का दिया …*
  *एक स्पेशल उपहार है* इसलिए
    *उसकी उपयोगिता जानो…*
      *और उसकी देखभाल करो।*
〰〰❣❣〰〰
     ये मैसेज हर विवाहित पुरुष के
       मोबाइल में होना चाहिए, ताकि …
          उन्हें अपनी *_पत्नी के महत्व_* का
             *_अंदाजा हो।_*
         HAPPY  WIFE  DAY
                  

कुछ वास्तु टिप्स ~ Kuchh vaastu tips


१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं । 
२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें | 
३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1 
४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है। 
५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है | 
६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है | 
७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो | 
८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं। 
९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में | 
१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं | 
११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है | 
१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले | 
१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे | 

"पानी पीने का सही वक़्त"


(1) 3 गिलास सुबह उठने के बाद, .....अंदरूनी उर्जा को Activate करता है... 
(2) 1 गिलास नहाने के बाद, ......ब्लड प्रेशर का खात्मा करता है... 
(3) 2 गिलास खाने से 30 Minute पहले, ........हाजमे को दुरुस्त रखता है..
(4) आधा गिलास सोने से पहले, ......हार्ट अटैक से बचाता है.. यह बहुत अच्छा Msg है Please इसे सब ग्रुपस में Frwd कर दिया जाये,नहीं आ सकता दुबारा क्योंकि इस साल फरवरी में चार रविवार, चार सोमवार, चार मंगलवार, चार बुधवार, चार बृहस्पतिवार, चार शुक्रवार, चार शनिवार. यह प्रत्येक 823 साल में एक बार होता है। यह up धन की पोटली कहलाता है। इसलिए कम से कम पाँच लोगों को या पाँच ग्रुप में भेजें और पैसा चार दिन में आयेगा। चाॅयनिज  पर आधारित है। पढ़ने के 1 1 मिनट के अंदर भेजें |

लो व्हाट्सएप ज्योतिष भी तैयार है।

१. जिसकी डीपी स्थिर रहती है उसका स्वभाव शांत रहता है.
२. बार-बार डीपी बदलने वाले चंचल स्वभाव के होते है.珞
३. छोटे स्टेटस रखने वाले संतोषी प्रवृत्ती होते हैं.
४. हमेशा स्टेटस बदलने वाले शौकीन होते हैैं.鸞
५.सतत कुछ न कुछ शेअर करने वाले दिलदार मन के होते हैं.
६.कभी भी किसी को लाईक न करने वाले घमंडी होते हैं.
७. प्रत्येक पोस्ट पर दिल से प्रतिक्रिया देने वाले रसिक और दुसरो की भावनाओं का आदर करने वाले होते हैं.
८. इधर के मेसेज उधर फेंकने वाले राजनितीक प्रवृत्ति के होते हैं.
९. फोटो या पोस्ट देखते ही ओपन करने वाले अधीर स्वभाव के होते हैं.
१०. पुरानी पोस्ट बार बार चिपकाने वाले उद्दंड होते हैं.邏
११. दुसरे की पोस्ट को पीछे कर  स्वतः की पोस्ट आगे ढकलने में माहिर व्यक्ती  खुद के बोलबाले करने वाले होते हैं. 
१२. मेसेज पढ़कर भी प्रतिक्रिया न देने वाले संकुचित प्रवृत्ती के होते हैं.
१३. कभी भी कुछ भी शेअर न करने वाले कंजूस होते हैं.
१४. बड़े मेसेज ना पढ़ने वाले आलसी या अति व्यस्त होते हैं.
१५. अलग अलग वॉट्स अप ग्रुप बनाने वाले अति महत्वाकांक्षी होते हैं.
१६. काम तक सीमित वॉट्सअप चालू रखने वाले जीवन में यशस्वी होते हैं.螺
नोट - देखिये ....आप कहाँ फिट होते हैं 

Beautiful story

एक घर मे *पांच दिए* जल रहे थे।
एक दिन पहले एक दिए ने कहा -
इतना जलकर भी *मेरी रोशनी की* लोगो को *कोई कदर* नही है...
तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं।
वह दिया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया ।
जानते है वह दिया कौन था ?
वह दिया था *उत्साह* का प्रतीक ।
यह देख दूसरा दिया जो *शांति* का प्रतीक था, कहने लगा -
मुझे भी बुझ जाना चाहिए।
निरंतर *शांति की रोशनी* देने के बावजूद भी *लोग हिंसा कर* रहे है।
और *शांति* का दिया बुझ गया ।
*उत्साह* और *शांति* के दिये के बुझने के बाद, जो तीसरा दिया *हिम्मत* का था, वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया।
*उत्साह*, *शांति* और अब *हिम्मत* के न रहने पर चौथे दिए ने बुझना ही उचित समझा।
*चौथा* दिया *समृद्धि* का प्रतीक था।
सभी दिए बुझने के बाद केवल *पांचवां दिया* *अकेला ही जल* रहा था।
हालांकि पांचवां दिया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह *निरंतर जल रहा* था।

तब उस घर मे एक *लड़के* ने प्रवेश किया।
उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ *एक ही दिया* जल रहा है।
वह खुशी से झूम उठा।
चार दिए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ।
यह सोचकर कि *कम से कम* एक दिया तो जल रहा है।
उसने तुरंत *पांचवां दिया उठाया* और बाकी के चार दिए *फिर से* जला दिए ।
जानते है वह *पांचवां अनोखा दिया* कौन सा था ?
वह था *उम्मीद* का दिया...
इसलिए *अपने घर में* अपने *मन में* हमेशा उम्मीद का दिया जलाए रखिये ।
चाहे *सब दिए बुझ जाए* लेकिन *उम्मीद का दिया* नही बुझना चाहिए ।
ये एक ही दिया *काफी* है बाकी *सब दियों* को जलाने के लिए ....
अचछे विचार पढने के लिए हमारा
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इस से हमारा भी Confidence बढता है
https://youtu.be/y9z6uBq9e8g

Shrimik / Majdoor Card ke Fayde

*विशेष सूचना गौर से पढ़े स्वयं के साथ दुसरो को भी फायदा दिलवाए*मित्रो से निवेदन है कि अपने अपने विद्यालय मे सभी छात्र छात्राओ को श्रमिक कार्ड के फायदे बताए और इनके कार्ड बनवाने को कहै अगर इनके माता-पिता के इस वर्ष के परीक्षा परिणाम से पहले काड॔ बन  जाता है तो सभी को इस वर्ष कि छात्रवृत्ति मिल जाएगी!

---श्रमिक (मजदुर) कार्ड के फायदे*

1. लड़के के जन्म पर 20 हजार रुपये,
लड़की के जन्म पर 21 हजार रूपये मिलेंगे 
(अधिकतम 2 बच्चों के जन्म पर )
2.  श्रमिक कार्डधारी के बच्चो को पढ़ाई में मिलने  वाली छात्रवर्ती
कक्षा 6 से 8         :- 8000 रुपये
कक्षा 9 से 12      :- 9000 रुपये
आईटीआई          :- 9000 रुपये
डिप्लोमा             :-10000 रुपये
बीए (BA)           :-13000 रुपये
एमए (MA)         :-15000 रुपये  की छात्रवर्ती पढ़ाई करने वाले छात्र (लड़के) को मिलेगी । लड़को को मिलने वाली राशि से 1000 रुपये अधिक छात्रा (लड़की) को मिलेगी ।

3. शुभशक्ति योजना- लड़की कि उम्र 18 वर्ष की होने पर तथा 8वी पास होने 55 हजार रूपये की  सरकारी सहायता मिलेगी।  (लड़की 8वीं पास हो, उम्र 18साल हो, श्रमिक कार्ड बने हुए 6 माह  हो गए हो )
अधिकतम 2 लड़कियों को ही मिलेगी
4. जमीन का पट्टा होने पर  1 लाख 50 हजार की सहायता
5. दुर्घटना होने पर  30 हजार से 3 लाख तक की सरकारी सहायता!
6, सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये सहायता !
7, दुर्घटना मृत्यु पर 5 लाख सरकारी सहायता
*श्रमिक कार्ड बनवाने की उम्र अवधि* :-
18 वर्ष से 55 वर्ष की उम्र तक कोई भी पुरुष या महिला ये श्रमिक कार्ड बनवा सकते हैं ।
*श्रमिक कार्ड बनवाने के लिये आवश्यक दस्तावेज* :-
आधार कार्ड,भामाशाह कार्ड,राशन कार्ड,जॉब कार्ड बैंक डायरी, फोटो रंगीन 1,
90 दिन का कार्य विवरण!

*कुछ अावश्यक जानकारी जो आपके ब्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अहम है*

Important Helpline no.

*100* - पुलिस
*101*-  आग (फायर सर्विस)
*102*- एम्ब्युलेन्स
*103*- यातायात पुलिस
*1031*- भ्रष्टाचार विरोधी            (निरोधक)
*1072*- ट्रेन दुर्घटना ( रोकने और सूचना के लिए )
*1073*- सड़क दुर्घटना की सूचना
*108*- आपदा प्रबंधन
*1090*- आतंक विरोधी हेल्पलाइन / अलर्ट अखिल भारतीय
*1092*- पृथ्वी-भूकंप सहायता लाइन सेवा
*1098*- बाल शोषण हॉटलाइन
*1322*- भारतीय रेलवे सुरक्षा हेल्पलाइन
*139*- रेलवे पूछताछ
*155*- किसान कॉल सेंटर
*155300*- नागरिक कॉल सेंटर
*1091*-महिला सहायता लाइन
*1076*- सीएम सहायता लाइन
*1098*-बाल सहायता लाइन
*1090*- क्राइम स्टॉपर
*इसे अपनों के बीच शेयर जरूर करें !*

*हास्य पुष्प* ~ *Hasy Pushp*

एक महिला ने बताई अपनी *आपबीती*
एक *मीटिंग* के बाद *मैं* होटल से बाहर आई।
मैंने अपनी *स्कूटी की चाबियाँ* तलाशीं लेकिन
मेरे पास नहीं थीं।
वापस *मीटिंग रूम* में जाकर देखा, वहाँ भी नहीं थीं।
अचानक मुझे लगा कि.....
चाबियाँ शायद मैं स्कूटी के इग्नीशन में ही लगी छोड़ आई थी।
*मेरे पति* बहुत बार मेरी इस *आदत* के लिए मुझे *डाँट* चुके थे।
जबकि मेरा कहना ये होता था कि.....
चाबियों को कहीं और भूल जाने की अपेक्षा, *इग्नीशन में लगी छोड़कर भूल जाना अच्छा।*
उनका कहना ये होता था कि.....
इग्नीशन में चाबियाँ भूलने पर गाड़ी *चोरी* हो सकती है।
खैर,
जब मैं पार्किंग में पहुँची तो मुझे समझ आया कि
, *मेरे पति सही थे*।
पार्किंग खाली थी, स्कूटी चोरी हो चुकी थी।
मैंने तुरंत *यूपी १०० पुलिस को कॉल* किया, अपनी लोकेशन और पार्किंग एड्रेस बताया
और
*स्कूटी* की पूरी जानकारी दी।
मैं *बराबर कन्फ्यूज* थी कि, चाबियाँ इग्नीशन में *भूल* जाने के कारण ही स्कूटी चोरी हो गई थी।
फिर मैंने अपने पति को *डरते डरते*  काल लगाईं और बोली---" *डार्लिंग*
( ऐंसे समय मैं उन्हें *डार्लिंग* कहकर ही बुलाती थी  )
मैं अपनी स्कूटी की चाबियाँ इग्नीशन में भूल गई और *अपनी स्कूटी चोरी* हो गई। "
फोन पर थोड़ी देर *शान्ति* रही।
मुझे लगा मेरे *पति गुस्से में फोन काट देंगे।*
लेकिन फिर उनकी *गुस्से में चिल्लाने*  की आवाज आई---
" *बेवकूफ, गधी,*
मैं खुद तुम्हे *मीटिंग अटेंड* करने के लिए *छोड़कर* आया था ! "
अब शांत रहने की मेरी बारी थी।
मैं खुश हो गई थी कि,
चलो स्कूटी चोरी तो नहीं हुई। फिर मैंने कहा---
" *ओके*
तो फिर प्लीज,*मुझे लेने के लिए आ जाओ। "
*पति फिर चिल्लाए* ---" मैं जितनी *जल्दी* हो सकेगा, तुम्हें लेने के लिए पहुँचता हूँ, लेकिन पहले इस *पुलिस* वाले को तो बताओ,
कि मैंने तुम्हारी  *स्कूटी* नहीं चुराई है, जिसने मुझे *पकड़* रखा है...."
अकेले मत हँसिए........दुसरे *पति पत्नियों* को फारवर्ड कीजिये !!
         *मुस्कराते रहे*
एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने केलिए, घर घर जा कर सामान बेचा करता था।
एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे भूख भी लग रही थी.
उसने तय किया कि,अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा,

एक गिलास दूध की कीमत ~ Ek Gilas Duth ki kimat

 उससे खाना मांग लेगा...!!!
एक घर पर पहुंचा एक लड़की ने दरवाजा खोला,
जिसे देखकर वह घबरा गया,और उसने पानी मांग लिया! 
लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई.
लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया...
कितने पैसे दूं ?
लड़के ने पूछा....
पैसे किस बात के ?
लड़की ने जवाव में कहा.
"मेरी माँ ने मुझे सिखाया है कि,जब भी किसी पर दया करो तो
उसके पैसे नहीं लेने चाहिए."
"तो फिर मैं आपको दिल से धन्यवाद देता हूँ."..!!
जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा,उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति भी मिल चुकी थी,
बल्कि उसका भगवान् और
आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था। और उसने अपनी पढ़ाई पूरी करी एक विदेश में एक बड़ा डॉक्टर बन गया।
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी.
लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में
इलाज के लिए भेज दिया...!!
विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड  केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया.
जैसे ही उसने लड़की के कस्बे का नाम सुना,
उसकी आँखों में चमक आ गयी...
वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया।उसने उस लड़की को देखा,एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा....!!
उसकी मेहनत और लगन रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी.
डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल बनाया...!!

उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया...!!

लड़की बिल का
लिफाफा देखकर घबरा गयी...!!
उसे मालूम था कि,वह बीमारी से तो वह बच गयी है,
लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान ले लेगी...!!
फिर भी उसने धीरे से बिल खोला,
रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के
कौने में पैन से लिखे नोट पर गयी...!!
जहाँ लिखा था,एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका है...!!
नीचे  उस नेक डॉक्टर
होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे...!!
ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े,उसने ऊपर की ओर दोनों हाथ उठा कर कहा--"हे भगवान..!
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद..
आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों के द्वारा
न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है."
अगर आप दूसरों पर अच्छाई करोगे तो,आपके साथ भी.. अच्छा ही होगा ..!!
अब आपको दो में से एक चुनाव करना है...!!
या तो आप इसे शेयर करके
इस सन्देश को हर जगह पहुंचाएँ..!! या...
अपने आप को समझा लें कि
इस कहानी ने आपका दिल नहीं छूआ..!!!
मेरा नाम कोमल भास्कर है। मो.न...9461516051
उम्र 23 साल
पढ़ाई MBBS FIRST YEAR
मैं चुरू राजस्थान मे रहती हुं।मेरे
लीवर में infection है जिसकी वजह से में सिर्फ 5
Month ही जिन्दा रहूंगी। Doctors
have
prescribed for liver
transplantation
operation जिसके लिए ३३ लाख रूपये
चाहियेें। मैं आपको नही जानती पर अगर ये पोस्ट
आप शेयर करेंगे तो मुझे प्रति शेयर 50 paise whatsap
की और से मिलेंगे।
और आप की हेल्प से में एक बार फिर से इस दुनिया में रह सकूंगी।
अगर आप सोचते है की ये सिर्फ जोक है,तो उपर दिए mobile
no. पर आप मेरे घरवालो से बात कर सकते है
अगर आपके शेयर करने के
पैसे नही लगते है तो प्लीज इस पोस्ट को
शेयर करना !
plz is msg Ko neglet mat
karna,
help me.GOD will help U
Thanks ........... _/\_
Bhaiyo kabhi to achhe kaam karo.....!!!

औरत का सफर - Aurat ka Safar

बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर आती है..


☺एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है..

अपनों से नाता तोड़कर किसी गैर को अपनाती है..

☺अपनी ख्वाहिशों को जलाकर किसी और के सपने सजाती है..

☺सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है..

नहा धोकर फिर सबके लिए नाश्ता बनाती है..

☺पति को विदा कर बच्चों का टिफिन सजाती है..

झाडू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है..

पता ही नही चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती है..

☺फिर से सबका खाना बनाने किचन में जुट जाती है..

☺सास ससुर को खाना परोस स्कूल से बच्चों को लाती है..

बच्चों संग हंसते हंसते खाना खाती और खिलाती है..

☺फिर बच्चों को टयूशन छोड़,थैला थाम बाजार जाती है..

☺घर के अनगिनत काम कुछ देर में निपटाकर आती है..

पता ही नही चलता कब दोपहर से शाम हो जाती है..

सास ससुर की चाय बनाकर फिर से चौके में जुट जाती है..

☺खाना पीना निपटाकर फिर बर्तनों पर जुट जाती है..
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सबको सुलाकर सुबह उठने को फिर से वो सो जाती है..
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हैरान हूं दोस्तों ये देखकर सौलह घंटे ड्यूटी बजाती है..

फिर भी एक पैसे की पगार नही पाती है..

ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत का मजाक उडाती है..

ना जाने क्यूं दुनिया उस औरत पर चुटकुले बनाती है..

जो पत्नी मां बहन बेटी ना जाने कितने रिश्ते निभाती है..

सबके आंसू पोंछती है लेकिन खुद के आंसू छुपाती है..

*नमन है मेरा घर की उस लक्ष्मी को जो घर को स्वर्ग बनाती है..☺*

*☺ड़ोली में बैठकर आती है और अर्थी पर लेटकर जाती

इसे तो शेयर करना आप का फर्ज बनता हैं नहीं तो आप का व्हाटसऐप चलाना बेकार हैं


Friday 6 July 2018

मृत्यु टाले न टले

 

(  मृत्यु टाले न टले )

भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठ कर कैलाश पर्वत पर गए।
द्वार पर गरुड़ को छोड़ कर खुद शिव से मिलने अंदर
चले गए। तब कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा
को देख कर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर
एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी।
चिड़िया कुछ इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे
विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।
उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से
पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की
द्रष्टि से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत
निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने
साथ यमलोक ले जाएँगे।
गरूड़ को दया आ गई। इतनी छोटी और सुंदर
चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उसे अपने
पंजों में दबाया और कैलाश से हजारो कोश दूर एक
जंगल में एक चट्टान के ऊपर छोड़ दिया, और खुद
बापिस कैलाश पर आ गया।
आखिर जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया
कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी
नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले "गरुड़ जब मैंने
उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो
चिड़िया कुछ ही पल बाद यहाँ से हजारों कोस दूर
एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं सोच रहा था
कि वो इतनी जलदी इतनी दूर कैसे जाएगी, पर अब
जब वो यहाँ नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी
होगी।"
गरुड़ समझ गये "मृत्यु टाले नहीं टलती चाहे कितनी
भी चतुराई की जाए।"
इस लिए कृष्ण कहते है।
करता तू वह है
जो तू चाहता है
परन्तु होता वह है
जो में चाहता हूँ
कर तू वह
जो में चाहता हूँ
फिर होगा वो
जो तू चाहेगा ।
जीवन के 6 सत्य:-
1. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने खूबसूरत हैं ?
क्योंकि..लँगूर और गोरिल्ला भी अपनी ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर लेते हैं..
2. कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका शरीर कितना विशाल और मज़बूत है ?
क्योंकि...श्मशान तक आप अपने आपको नहीं ले जा सकते....
3. आप कितने भी लम्बे क्यों न हों , मगर आने वाले कल को आप नहीं देख सकते....
4. कोई फर्क नहीं पड़ता कि , आपकी त्वचा कितनी गोरी और चमकदार है
क्योंकि...अँधेरे में रोशनी की जरूरत पड़ती ही है...
5 . कोई फर्क नहीं पड़ता कि " आप " नहीं हँसेंगे तो सभ्य कहलायेंगे ?
क्यूंकि ..." आप " पर हंसने के लिए दुनिया खड़ी है ?
6. कोई फर्क नहीं पड़ता कि ,आप कितने अमीर हैं ? और दर्जनों गाड़ियाँ आपके पास हैं ?
क्योंकि...घर के बाथरूम तक आपको चल के ही जाना पड़ेगा...
इसलिए संभल के चलिए ... ज़िन्दगी का सफर छोटा है , हँसते हँसते काटिये , आनंद आएगा ।।
*जय श्री कृष्ण

Wednesday 4 July 2018

इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके

*इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗*

एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗
क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗
गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी
भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗
*ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था।*
ऐसे ही समय बीतता रहा ....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗
*गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓*
पूरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗
*यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗*
इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,
पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗
*60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗*
तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,
परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗
क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : -
      *कितनी इच्छायें मरी होंगी❓*
      *कितनी तकलीफें मिली होंगी❓*
       *कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓*
क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक  बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका
भोग खुद न कर सके❗
*इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗*
इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,
पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗
                    मौज लो, रोज लो❗
              नहीं मिले तो खोज लो‼
   BUSY पर BE-EASY भी रहो❗

आओ देखे समस्या कहां है

*आओ देखे समस्या कहां है।*
*कुछ समझने की कोशिश करें बलात्कार अचानक इस देश मे क्यो बढ़ गए ???*
कुछ उद्धरण से समझते हैं
1) लोग कहते हैं कि रेप क्यों होता है ?
एक 8 साल का लडका सिनेमाघर मे राजा हरिशचन्द्र फिल्म देखने गया और फिल्म से प्रेरित होकर उसने सत्य का मार्ग चुना और वो बडा होकर महान व्यक्तित्व से जाना गया।
परन्तु आज 8 साल का लडका टीवी पर क्या देखता है ?
सिर्फ नंगापन और अश्लील वीडियो और फोटो,
मैग्जीन में अर्धनग्न फोटो,
पडोस मे रहने वाली भाभी के छोटे कपडे !!
लोग कहते हैं कि रेप का कारण बच्चों की मानसिकता है।
पर वो मानसिकता आई कहा से ?
उसके जिम्मेदार कहीं न कहीं हम खुद जिम्मेदार है।
क्योंकि हम *joint family नही रहते।*
हम अकेले रहना पसंद करते हैं। और अपना परिवार चलाने के लिये माता पिता को बच्चों को अकेला छोड़कर काम पर जाना है और बच्चे अपना अकेलापन दूर करने के लिये टीवी और इन्टरनेट का सहारा लेते हैं।
और उनको देखने के लिए क्या मिलता है सिर्फ वही अश्लील वीडियो और फोटो तो वो क्या सीखेंगे यही सब कुछ ना ?
अगर वही बच्चा अकेला न रहकर अपने दादा दादी के साथ रहे तो कुछ अच्छे संस्कार सीखेगा।
कुछ हद तक ये भी जिम्मेदार है।
2) पूरा देश रेप पर उबल रहा है,
छोटी छोटी बच्चियो से जो दरिंदगी हो रही उस पर सबके मन मे गुस्सा है।
कोई सरकार को कोस रहा,
कोई समाज को तो कई feminist सारे लड़को को बलात्कारी घोषित कर चुकी है !
लेकिन आप सुबह से रात तक
कई बार sunny leon के कंडोम के add देखते है ..!!
फिर दूसरे add में  रणवीर सिंह शैम्पू के ऐड में लड़की पटाने के तरीके बताता है...!!
ऐसे ही Close up,
लिम्का,
Thumsup भी दिखाता है। *लेकिन तब आपको गुस्सा नही आता है है ना ???*
आप अपने छोटे बच्चों के साथ music चैनल पर सुनते ही हैं
*दारू बदनाम कर दी,*
*कुंडी मत खड़काओ राजा,*
*मुन्नी बदनाम,*
*चिकनी चमेली,*
*झण्डू बाम,*
*तेरे साथ करूँगा गन्दी बात,*
और न जाने ऐसी कितनी मूवीज गाने देखते सुनते है।
*तब आपको गुस्सा नही आता ??*
मम्मी बच्चों के साथ Star Plus, जी TV, सोनी TV देखती है जिसमें एक्टर और एक्ट्रेस सुहाग रात मनाते है।
किस करते है।
आँखो में आँखे डालते है।
और तो और भाभीजी घर पर है, जीजाजी छत पर है,
टप्पू के पापा और बबिता जिसमे एक व्यक्ति दूसरे की पत्नी के पीछे घूमता लार टपकता नज़र आएगा
पूरे परिवार के साथ देखते है।
*इन सब serial को देखकर आपको गुस्सा नही आता ??*
फिल्म्स आती है जिसमे किस (चुम्बन, आलिंगन), रोमांस से लेकर गंदी कॉमेडी आदि सब कुछ दिखाया जाता है।
*पर आप बड़े मजे लेकर देखते है, इन सब को देखकर आपको गुस्सा नही आता ??*
खुलेआम TV- फिल्म वाले आपके बच्चों को बलात्कारी बनाते है।
उनके मन मे जहर घोलते है।
तब आपको गुस्सा नही आता ?
क्योकि आपको लगता है कि
रेप रोकना सरकार की जिम्मेदारी है ।
पुलिस,
प्रशासन,
न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी है..
लेकिन क्या समाज और मीडिया की कोई जिम्मेदारी नही।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में कुछ भी परोस दोगे क्या ?
आप तो अखबार पढ़कर।
News देखकर बस गुस्सा निकालेंगे।
कोसेंगे सिस्टम को,
सरकार को,
पुलिस को,
प्रशासन को,
DP बदल लेंगे,
सोशल मीडिया पे खूब हल्ला मचाएंगे,
बहुत ज्यादा हुआ तो कैंडल मार्च या धरना कर लेंगे लेकिन....
TV चैनल्स, वालीवुड, मीडिया को कुछ नही कहेंगे। क्योकि वो आपके मनोरंजन के लिए है।
सच पुछिऐ तो TV Channels अश्लीलता परोस रहे है ...
पाखंड परोस रहे है,
झूंठे विषज्ञापन परोस रहे है ,
झूंठेऔर सत्य से परे ज्योतिषी पाखंड से भरी कहानियां एवं मंत्र, ताबीज आदि परोस रहै है।
उनकी भी गलती नही है।
क्योंकि आप खरीददार हो .....??
बाबा बंगाली, तांत्रिक बाबा, स्त्री वशीकरण के जाल में खुद फंसते हो ।
3) अभी टीवी का खबरिया चैनल मंदसौर के गैंगरेप की घटना पर समाचार चला रहा है।
जैसे ही ब्रेक आये:-
*पहला विज्ञापन बोडी स्प्रे का जिसमे लड़की आसमान से गिरती है,*
*दूसरा कंडोम का,*
*तीसरा नेहा स्वाहा-स्नेहा स्वाहा वाला,*
*और चौथा प्रेगनेंसी चेक करने वाले मशीन का......*
जब हर विज्ञापन, हर फिल्म में नारी को केवल भोग की वस्तु समझा जाएगा तो बलात्कार के ऐसे मामलों को बढ़ावा मिलना निश्चित है।
क्योंकि
"हादसा एक दम नहीं होता,
वक़्त करता है परवरिश बरसों....!"
ऐसी निंदनीय घटनाओं के पीछे निश्चित तौर पर भी बाजारवाद ही ज़िम्मेदार है ..
4) आज सोशल मीडिया, इंटरनेट और फिल्मों में @ पोर्न परोसा जा रहा है। तो बच्चे तो बलात्कारी ही बनेंगे ना।

*ध्यान रहे समाज और मीडिया को बदले बिना ये आपके कठोर सख्त कानून कितने ही बना लीजिए, ये घटनाएं नही रुकने वाली है।*
इंतज़ार कीजिये बहुत जल्द आपको फिर केंडल मार्च निकालने का अवसर हमारा स्वछंद समाज, बाजारू मीडिया और गंदगी से भरा सोशल मिडीया देने वाला है ।
*अगर अब भी आप बदलने की शुरुआत नही करते हैं तो समझिए कि ......*
*फिर कोई भारत की बेटी निर्भया एवम् अन्य बेटियों की तरह बर्बाद होने वाली है।*
*आपको आपकी बेटियां बचना है तो सरकार कानून पुलिस के भरोसे से बाहर निकलकर समाज मीडिया और सोशल मीडिया की गंदगी साफ करने की आवश्यकता है।*
अगर किसी को यह बात
 अच्छी लगी हो तो प्लीज शेयर अवश्य करे ।

वसीयत और नसीहत

.       ध्यान से पढ़ना बहुत कुछ सीखने को मिलेगा 
   *"वसीयत और नसीहत"*
एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत देते हुए कहा,
*"बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों में ये फटे हुऐ मोज़े (जुराबें) पहना देना, मेरी यह इक्छा जरूर पूरी करना ।*
पिता के मरते ही नहलाने के बाद, बेटे ने पंडितजी से पिता की आखरी इक्छा बताई ।
*पंडितजी ने कहा: हमारे धर्म में कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है।*
पर बेटे की ज़िद थी कि पिता की आखरी इक्छ पूरी हो ।
बहस इतनी बढ़ गई की शहर के पंडितों को जमा किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला ।
*इसी माहौल में एक व्यक्ति आया, और आकर बेटे के हाथ में पिता का लिखा हुआ खत दिया, जिस में पिता की नसीहत लिखी थी*
_*"मेरे प्यारे बेटे"*_
*देख रहे हो..? दौलत, बंगला, गाड़ी और बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी, मैं एक फटा हुआ मोजा तक नहीं ले जा सकता ।*
*एक रोज़ तुम्हें भी मृत्यु आएगी, आगाह हो जाओ, तुम्हें भी एक सफ़ेद कपडे में ही जाना पड़ेगा ।*
*लिहाज़ा कोशिश करना,पैसों के लिए किसी को दुःख मत देना, ग़लत तरीक़े से पैसा ना कमाना, धन को धर्म के कार्य में ही लगाना ।*
*सबको यह जानने का हक है कि शरीर छूटने के बाद सिर्फ कर्म ही साथ जाएंगे"। लेकिन फिर भी आदमी तब तक धन के पीछे भागता रहता है जब तक उसका निधन नहीं हो जाता।*
* 1) जो आपसे दिल से बात करता है उसे कभी दिमाग से जवाब मत देना।*
* 2) एक साल मे 50 मित्र बनाना आम बात है। 50 साल तक एक मित्र से मित्रता निभाना खास बात है।*
* 3) एक वक्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक्त आएगा और एक ये वक्त है कि हम सोचते हैं कि वो भी क्या वक्त था।*
* 4) एक मिनट मे जिन्दगी नहीं बदलती पर एक मिनट सोच कर लिखा फैसला पूरी जिन्दगी बदल देता है।*
* 5) आप जीवन में कितने भी ऊॅचे क्यों न उठ जाएं, पर अपनी गरीबी और कठिनाई को कभी मत भूलिए।*
* 6) वाणी में भी अजीब शक्ति होती है। कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है।*
* 7) जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है जिसे लोग कहते हैं कि तुम नही कर सकते हो।*
* 8) इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला। ताला खुलता है, तभी मालूम होता है कि दुकान सोने की है या कोयले की।*
* 9) कामयाब होने के लिए जिन्दगी में कुछ ऐसा काम करो कि लोग आपका नाम Face book पे नही Google पे सर्च करें।*
* 10) दुनिया विरोध करे तुम डरो मत, क्योंकि जिस पेङ पर फल लगते है दुनिया उसे ही पत्थर मारती है।*
* 11) जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर है। मान लो तो हार होगी और ठान लो तो जीत होगी।*
* 12) दुनिया की सबसे सस्ती चीज है सलाह, एक से मांगो हजारो से मिलती है। सहयोग हजारों से मांगो एक से मिलता है।*
* 13) मैने धन से कहा कि तुम एक कागज के टुकड़े हो। धन मुस्कराया और बोला बिल्कुल मैं एक कागज का टुकड़ा हूँ, लेकिन मैने आज तक जिंदगी में कूड़ेदान का मुंह नहीं देखा।*
* 14) आंधियों ने लाख बढ़ाया हौसला धूल का, दो बूंद बारिश ने औकात बता दी।*
* 15) जब एक रोटी के चार टुकड़े हों और खाने वाले पांच हों, तब मुझे भूख नहीं है, ऐसा कहने वाला कौन है.? सिर्फ "माँ"।*
* 16) जब लोग आपकी नकल करने लगें तो समझ लेना चाहिए कि आप जीवन में सफल हो रहे हैं।*
* 17) मत फेंक पत्थर पानी में, उसे भी कोई पीता है।*
*मत रहो यूं उदास जिन्दगी में, तुम्हें देखकर भी कोई जीता है*।।
अच्छा लगे तो औरों को भी भेजें


एक मित्र ने भेजा था सन्देश

एक मित्र ने भेजा था पसंद आया तो आप सब के बीच रख रहा हुं
थोड़ा समय लगेगा लेकिन पढ़ना जरूर, आंसू आ जाए तो जान लेना आपकी भावनाएं जीवित हैं ....
बात बहुत पुरानी है।
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आठ-दस साल पहले की है  ।
मैं अपने एक मित्र का पासपोर्ट बनवाने के लिए दिल्ली के पासपोर्ट ऑफिस गया था।
उन दिनों इंटरनेट पर फार्म भरने की सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालों का बोलबाला था
.
और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्ट के फार्म बेचने से लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवाने का काम करते थे।
मेरे मित्र को किसी कारण से पासपोर्ट की जल्दी थी, लेकिन दलालों के दलदल में फंसना नहीं चाहते थे।
हम पासपोर्ट दफ्तर पहुंच गए, लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म भी ले लिया।
.
पूरा फार्म भर लिया। इस चक्कर में कई घंटे निकल चुके थे, और अब हमें िकसी तरह पासपोर्ट की फीस जमा करानी थी।
हम लाइन में खड़े हुए लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा।
मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए।
बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, "आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या? अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे। मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।"
मैने बहुत अनुरोध किया पर वो नहीं माना। उसने कहा कि बस दो बजे तक का समय होता है, दो बज गए। अब कुछ नहीं हो सकता।
मैं समझ रहा था कि सुबह से दलालों का काम वो कर रहा था, लेकिन जैसे ही बिना दलाल वाला काम आया उसने बहाने शुरू कर दिए हैं।
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पर हम भी अड़े हुए थे कि बिना अपने पद का इस्तेमाल किए और बिना उपर से पैसे खिलाए इस काम को अंजाम देना है।
मैं ये भी समझ गया था कि अब कल अगर आए तो कल का भी पूरा दिन निकल ही जाएगा, क्योंकि दलाल हर खिड़की को घेर कर खड़े रहते हैं, और आम आदमी वहां तक पहुंचने में बिलबिला उठता है।
खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे।
मैंने उसे रोका। कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।
बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो उसी दफ्तर में तीसरी या चौथी मंजिल पर बनी एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।
मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। उसने मेरी ओर देखा और बुरा सा मुंह बनाया। मैं उसकी ओर देख कर मुस्कुराया। उससे मैंने पूछा कि रोज घर से खाना लाते हो?
उसने अनमने से कहा कि हां, रोज घर से लाता हूं।
मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे?
वो पता नहीं क्या समझा और कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।
कई आईएएस, आईपीएस, विधायक और न जाने कौन-कौन रोज यहां आते हैं। मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।
मैंने बहुत गौर से देखा, ऐसा कहते हुए उसके चेहरे पर अहं का भाव था।
मैं चुपचाप उसे सुनता रहा।
फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं? वो समझ नहीं पाया कि मैं क्या कह रहा हूं। उसने बस हां में सिर हिला दिया।
मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा।
वो चुपचाप मुझे देखता रहा। मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।
वो चुप रहा।
मैंने फिर उसे कुरेदा। तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो?
अब वो चौंका। उसने मेरी ओर देख कर पूछा कि इज्जत? मतलब?
मैंने कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, तुम न जाने कितने बड़े-बड़े अफसरों से डील करते हो, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते।
उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने? मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।
देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो,
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लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।
मान लो कोई एकदम दो बजे ही तुम्हारे काउंटर पर पहुंचा तो तुमने इस बात का लिहाज तक नहीं किया कि वो सुबह से लाइऩ में खड़ा रहा होगा,
और तुमने फटाक से खिड़की बंद कर दी। जब मैंने तुमसे अनुरोध किया तो तुमने कहा कि सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे।
मान लो मैं सरकार से कह कर और लोग बहाल करा लूं, तो तुम्हारी अहमियत घट नहीं जाएगी?
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हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए। फिर तुम कैसे आईएएस, आईपीए और विधायकों से मिलोगे?
भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए। लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।
मेरा क्या है, कल भी आ जाउंगा, परसों भी आ जाउंगा। ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं काम हुआ तो कभी नहीं होगा। तुम नहीं करोगे कोई और बाबू कल करेगा।
पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए।
वो खाना छोड़ कर मेरी बातें सुनने लगा था।
मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है।
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क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे। यार दोस्त तो नहीं हैं,
ये तो मैं देख ही चुका हूं। मुझे देखो, अपने दफ्तर में कभी अकेला खाना नहीं खाता।
यहां भी भूख लगी तो तुम्हारे साथ खाना खाने आ गया। अरे अकेला खाना भी कोई ज़िंदगी है?
मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया। उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं। पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है।
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बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते। मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती। सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तनहा खाना खाता हूं।
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रात में घर जाने का भी मन नहीं करता। समझ में नहींं आता कि गड़बड़ी कहां है?
मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते तो तो करो।
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देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं। मेरे पास तो पासपोर्ट है।
मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।
वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा।
मैं नीचे गया, उसने फार्म जमा कर लिया, फीस ले ली। और हफ्ते भर में पासपोर्ट बन गया।
बाबू ने मुझसे मेरा नंबर मांगा, मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दे दिया और चला आया।
कल दिवाली पर मेरे पास बहुत से फोन आए। मैंने करीब-करीब सारे नंबर उठाए। सबको हैप्पी दिवाली बोला।
उसी में एक नंबर से फोन आया, "रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब।"
मैं एकदम नहीं पहचान सका। उसने कहा कि कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।
आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।
मुझे एकदम याद आ गया। मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?
उसने खुश होकर कहा, "साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा।
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मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता।
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सब अपने में व्यस्त हैं। मैं
साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वो मान ही नहीं रही थी।
वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली,
कहा कि साथ खिलाओगी? वो हैरान थी।
रोने लगी। मेरे साथ चली आई। बच्चे भी साथ चले आए।
साहब अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूं। जो आता है उसका काम कर देता हूं।
साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।
अगल महीने बिटिया की शादी है। आपको आना है।
अपना पता भेज दीजिएगा। मैं और मेरी पत्नी आपके पास आएंगे।
मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा था कि ये पासपोर्ट दफ्तर में रिश्ते कमाना कहां से सीखे?
तो मैंने पूरी कहानी बताई थी। आप किसी से नहीं मिले लेकिन मेरे घर में आपने रिश्ता जोड़ लिया है।
सब आपको जानते है बहुत दिनों से फोन करने की सोचता था, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी।
आज दिवाली का मौका निकाल कर कर रहा हूं। शादी में आपको आना है।
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बिटिया को आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने। मुझे यकीन है आप आएंगे।
वो बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता भारी पड़ेगा।
लेकिन मेरा कहा सच साबित हुआ। आदमी भावनाओं से संचालित होता है। कारणों से नहीं। कारण से तो मशीनें चला करती हैं
पसंद आए तो अपनें अज़ीज़ दोस्तों को जरुर भेजें एंव इनसांनीयत की भावना को आगे बढ़ाएँ
पैसा इन्सान के लिए बनाया गया है, इन्सान पैैसै के लिए नहीं बनाया गया है!!
""" जिंदगी में किसी का साथ ही काफी है,, कंधे पर रखा हुआ हाथ ही काफी है,,,,
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दूर हो या पास क्या फर्क पड़ता है,, क्योंकि अनमोल रिश्तों का तो बस एहसास ही काफी है *** । ।
अगर आपके दिल को छुआ हो तो इस मैसेज से कुछ सीखने की कोशिश करना ,,
      शायद आपकी दुनिया भी बदल जाये ।।।
*अगर मरने के बाद भी जीना चाहो तो एक काम जरूर करना, पढ़ने लायक कुछ लिख जाना या लिखने लायक कुछ कर जाना I
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याद रखना, पैसा तो सबके पास हैं, किसी के पास कम है, तो किसी के पास ज्यादा है,ये सोचो कि रिश्ते किसके ज्यादा है।।
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जिन्दगी का समीकरण

समीकरण !-- मैंने काफ़ी लंबे समय से जितने भी समीकरण पढ़े ये सबसे बढ़िया लगा!!!
समीकरण 1--
इंसान = खाना + सोना + काम + आनंद
गधा = खाना + सोना + काम
इस तरह:
इंसान = गधा + आनन्द
इस तरह से:
इंसान - आनंद = गधा
शब्दों में बताऊँ तो,
एक इंसान जो नहीं जानता कि आनंद कैसे लेना चाहिए वो एक गधे के समान होता है।
समीकरण 2
इंसान = खाना + सोना + पैसा कमाना
गधा = खाना + सोना
इस तरह:
इंसान = गधा + पैसा कमाना
इस तरह से:
इंसान - पैसा कमाना = गधा
शब्दों में,
इंसान जो पैसा नहीं कमाता = गधा
समीकरण 3
औरत = खाना + नींद + खर्च करने वाली
गधा = खाना + नींद
इस तरह से:✋
औरत = गधा + खर्च करने वाली
औरत - खर्च करने वाली = गधा
दूसरे शब्दों में,
औरत जो ख़र्चा नहीं करती वो गधे के समान है
समीकरण 1 व 2 का निष्कर्ष:
पुरुष जो पैसा नहीं कमाता = औरत जो ख़र्चा नहीं करती।邏
इसलिए पुरुष पैसा कमाता है ताकि औरत गधा ना बने।
और औरत इसलिए पैसा खर्च करती है ताकि पुरुष गधा ना रहे
इसलिए अब हमारे पास है:
पुरुष + औरत = गधा + पैसा कमाना + गधा + पैसा खर्च करना।
इस प्रकार,
1 व 2 से, हम समझ सकते हैं कि,
पुरूष + औरत = 2 गधे, जो कि पैसा कमाने और खर्च करने के लिए आनंदपूर्वक साथ साथ रहते हैं 
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